Essay on Air Pollution in Hindi
वायु प्रदूषण क्या है और क्यों बढ़ रहा है?
हमारे जीवन के लिए हवा उतनी ही ज़रूरी है जितना पानी और भोजन। लेकिन दुख की बात यह है कि जिस हवा को हम हर पल साँस के रूप में लेते हैं, वही आज ज़हर बनती जा रही है। इस हवा में धूल, धुआँ, गैसें और हानिकारक रसायन मिलकर वायु प्रदूषण पैदा करते हैं।
मैं दिल्ली में कुछ समय रहा हूँ। सर्दियों में वहाँ वायु प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि सुबह की धूप देखने की जगह धुंध और धुएँ का मिला-जुला धुआँ नजर आता है। आँखों में जलन होती है और कभी-कभी मास्क पहनकर ही बाहर जाना पड़ता है। तब एहसास हुआ कि वायु प्रदूषण केवल किताबों का विषय नहीं है, बल्कि यह हमारी सेहत और जीवन पर सीधा असर डालता है।
वायु प्रदूषण के कारण और प्रभाव
अगर कारणों की बात करें तो सबसे बड़ा कारण है वाहनों से निकलने वाला धुआँ। आज लगभग हर घर में दो-तीन गाड़ियाँ हैं। इसके अलावा कारखानों का धुआँ, खेतों में पराली जलाना, जंगलों की कटाई और बढ़ती आबादी सब मिलकर इस समस्या को और गंभीर बना देते हैं।
वायु प्रदूषण के प्रभाव भी खतरनाक हैं।
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सांस की बीमारियाँ जैसे दमा और एलर्जी बढ़ रही हैं।
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ग्लोबल वार्मिंग और ओज़ोन परत को नुकसान हो रहा है।
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मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है।
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बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर और ज्यादा होता है।
मुझे याद है, बचपन में जब गर्मियों की छुट्टियों में गाँव जाता था तो वहाँ की ताज़ी हवा में खेलना कितना अच्छा लगता था। लेकिन अब गाँवों तक में धूल और धुएँ का असर दिखने लगा है। यह बदलाव देखकर डर लगता है कि अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियाँ शुद्ध हवा शायद सिर्फ किताबों में पढ़ेंगी।
वायु प्रदूषण कम करने के उपाय
मेरे अनुभव में, अगर हम सभी छोटे-छोटे कदम उठाएँ तो बड़ा बदलाव संभव है। जैसे—
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जितना हो सके पैदल चलना या साइकिल का उपयोग करना।
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सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाना।
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पेड़-पौधे लगाना और उनकी देखभाल करना।
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कचरे को जलाने की बजाय उसे सही तरीके से निस्तारित करना।
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घर की छतों पर गार्डनिंग करना। मैंने खुद कुछ गमलों में पौधे लगाए हैं, जिससे घर की हवा भी साफ रहती है और मन को भी शांति मिलती है।
सरकार की भी इसमें बड़ी भूमिका है। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती, स्वच्छ ऊर्जा का प्रचार और जागरूकता अभियान चलाना बेहद ज़रूरी है। लेकिन सच कहूँ तो असली बदलाव तब होगा जब हर इंसान खुद को जिम्मेदार समझेगा।
निष्कर्ष
मेरी नज़र में वायु प्रदूषण सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं है, यह हमारी सेहत, भविष्य और जीवन का सवाल है। अगर हम अभी भी लापरवाह रहे तो आने वाले वर्षों में स्थिति और भयावह हो जाएगी। इसलिए हमें यह समझना होगा कि स्वच्छ हवा हमारा अधिकार ही नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी है।
मैं चाहता हूँ कि आने वाली पीढ़ियाँ भी वैसी ही ताज़ी हवा में साँस लें जैसी मैंने बचपन में गाँव के खेतों में महसूस की थी। अगर हम सब मिलकर अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाएँ, तो यह सपना सच हो सकता है।
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