मेरी माँ पर निबंध | Essay on My Mother in Hindi


मेरी माँ पर निबंध | Essay on My Mother in Hindi



 मेरी माँ पर निबंध

माँ शब्द अपने आप में ही दुनिया का सबसे पवित्र और मधुर शब्द है। माँ केवल जन्म देने वाली नहीं होती बल्कि वह हमारी पहली शिक्षक, मार्गदर्शक और सच्ची मित्र होती है। जीवन में चाहे कितनी भी ऊँचाइयाँ क्यों न मिल जाएँ, एक माँ का स्थान कोई और नहीं ले सकता। जब भी "माँ" शब्द कानों में पड़ता है तो भीतर एक गहरी आत्मीयता और सुरक्षा का एहसास होता है।



माँ – त्याग और प्रेम की मूर्ति

माँ का जीवन हमेशा अपने बच्चों के इर्द-गिर्द घूमता है। वह अपने सपनों और इच्छाओं को त्यागकर भी हमारे सपनों को पूरा करने में लगी रहती है। बचपन में जब भी मैं बीमार पड़ता था, तो माँ रात-रात भर जागकर मेरा ध्यान रखती थी। उस समय मुझे यह समझ नहीं आता था कि इतनी थकान के बावजूद वह मुस्कुराकर मेरे पास कैसे बैठी रहती हैं। लेकिन अब जब बड़ा हो गया हूँ तो समझ पाया हूँ कि माँ के दिल में बच्चों के लिए इतना गहरा प्रेम होता है जो किसी भी थकान से बड़ा होता है।



व्यक्तिगत अनुभव और माँ की यादें

सच कहूँ तो मेरी माँ मेरे जीवन का सबसे बड़ा सहारा हैं। मुझे याद है बचपन में जब मैं स्कूल से उदास होकर घर आता था तो माँ मेरी आँखों से ही समझ जाती थीं कि कुछ ठीक नहीं है। बिना मेरे बताए ही वह मेरे लिए गरमा-गरम पराठे बनाकर लातीं और पूछतीं – "क्या हुआ, आज इतना चुप क्यों है?" उस समय उनका वह अपनापन और ममता मेरा सारा दुःख दूर कर देती थी।

आज भी जब मैं घर से बाहर पढ़ाई या नौकरी के लिए जाता हूँ तो सबसे ज्यादा माँ की याद आती है। उनका फोन पर कहना – "खाना खा लिया न? ज़्यादा देर मत जागा कर" – एक साधारण सी बात लगती है, लेकिन उसके पीछे छिपा प्यार और चिंता अनमोल है।



माँ का अनुशासन और शिक्षा

माँ केवल लाड़-प्यार करने वाली ही नहीं बल्कि अनुशासन सिखाने वाली भी होती है। मेरी माँ ने हमेशा सिखाया कि मेहनत से बढ़कर कोई रास्ता नहीं है। जब भी मैं पढ़ाई में ढिलाई करता था, वह मुझे डाँटतीं भी थीं। पर आज जब सोचता हूँ तो महसूस होता है कि उन्हीं की डाँट ने मुझे सही रास्ते पर रखा। माँ ने मुझे सिखाया कि दूसरों के दुख में साथ देना चाहिए और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए।



माँ – सच्ची प्रेरणा

कई बार जीवन में ऐसे पल आते हैं जब हमें लगता है कि अब आगे बढ़ना मुश्किल है। ऐसे समय में माँ का एक ही वाक्य – "तू कर सकता है, बस हिम्मत मत हार" – मुझे नई ताकत देता है। वास्तव में माँ ही हमारी पहली प्रेरणा होती है। उनकी मुस्कान और आशीर्वाद से बड़ा कोई संबल नहीं।



व्यक्तिगत दृष्टिकोण: मेरी माँ मेरी दुनिया

मेरे लिए मेरी माँ सिर्फ माँ नहीं, बल्कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी हैं। मैं जब भी किसी कठिनाई में फँसता हूँ, सबसे पहले उन्हीं से बात करता हूँ। कई बार लगता है कि उन्होंने मेरी पूरी ज़िंदगी पढ़ ली है, क्योंकि मेरे चेहरे के भाव देखकर ही समझ जाती हैं कि मैं खुश हूँ या उदास।

एक छोटी सी घटना मुझे हमेशा याद रहती है। एक बार मेरी परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आए थे। मैं बहुत निराश हो गया था। सोचा कि अब सब मुझे डाँटेंगे। लेकिन माँ ने मुझे गले से लगाया और कहा – "असफलता तो बस सफलता की पहली सीढ़ी है, तू घबराना मत।" उस दिन के बाद से मैं कभी असफलता से डरता नहीं हूँ।



माँ का समाज और परिवार में योगदान

माँ केवल बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिए आधारस्तंभ होती है। वह घर को सँभालने के साथ-साथ सभी रिश्तों को जोड़कर रखती है। चाहे कोई त्यौहार हो या परिवार का छोटा-मोटा आयोजन, माँ ही सबकी खुशियों का केंद्र होती हैं। सच तो यह है कि माँ के बिना घर सिर्फ ईंट-पत्थर का मकान भर रह जाता है, माँ ही उसे एक जीवंत परिवार बनाती है।



मेरे अंतिम विचार 

माँ हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है। उनका प्यार, त्याग और स्नेह किसी भी शब्दों में पूरी तरह व्यक्त नहीं किया जा सकता। अगर जीवन में कभी हमें सफलता मिले तो उसका सबसे बड़ा श्रेय हमारी माँ को ही जाता है। मुझे गर्व है कि मुझे ऐसी माँ मिली हैं जो हमेशा मेरा हौसला बढ़ाती हैं और हर परिस्थिति में मेरे साथ खड़ी रहती हैं।

अंत में बस इतना कहना चाहूँगा कि माँ ईश्वर का सबसे खूबसूरत तोहफ़ा है। हमें हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए और उन्हें खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि सच तो यही है – माँ के बिना जीवन अधूरा है।




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