यदि मैं प्रधानमंत्री होता - Essay in Hindi
प्रधानमंत्री बनने का सपना
हर भारतीय नागरिक के मन में कभी न कभी यह ख्याल ज़रूर आता है कि यदि वह देश का प्रधानमंत्री होता तो क्या करता। मेरे मन में भी अक्सर यह ख्वाब आता है। बचपन में जब मैं अख़बार पढ़ता या टीवी पर संसद की बहसें देखता था, तो सोचता था—क्यों न मैं भी एक दिन देश का नेता बनूँ और लोगों की समस्याओं का समाधान करूँ। प्रधानमंत्री बनना सिर्फ़ एक पद नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की सेवा का अवसर है।
मेरा विज़न: शिक्षा और युवाओं पर ज़ोर
यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो सबसे पहले देश की शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत करता। मैंने खुद छोटे कस्बे के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की है, जहाँ कभी-कभी किताबें और अच्छे शिक्षक दोनों की कमी रहती थी। उस अनुभव ने मुझे यह सिखाया कि अगर शिक्षा मज़बूत हो तो कोई भी बच्चा अपने सपनों को पूरा कर सकता है। इसलिए मैं चाहता कि हर गाँव और हर मोहल्ले में आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्कूल हों, ताकि कोई भी बच्चा पिछड़ न जाए।
युवाओं के लिए मैं नए रोज़गार के अवसर पैदा करता। कॉलेज के दिनों में मैंने देखा कि कितने ही मेरे साथी अच्छी पढ़ाई करने के बावजूद नौकरी के लिए दर-दर भटकते रहे। अगर मैं प्रधानमंत्री होता तो स्टार्टअप्स को बढ़ावा देता, ताकि युवा खुद रोजगार सृजन करें और दूसरों के लिए भी अवसर पैदा करें।
मेरा संकल्प: भ्रष्टाचार और गरीबी हटाना
प्रधानमंत्री बनने पर मेरा दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य भ्रष्टाचार को खत्म करना होता। मुझे याद है एक बार मेरे पिता किसी सरकारी दफ़्तर में एक साधारण काम करवाने गए थे, लेकिन वहाँ रिश्वत के बिना काम नहीं हो रहा था। यह देखकर मुझे गुस्सा और दुख दोनों आया। यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो पारदर्शी व्यवस्था लागू करता और डिजिटल तकनीक के माध्यम से हर सेवा को आम जनता तक सीधा पहुँचाता।
गरीबी भी हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है। अगर मैं प्रधानमंत्री होता तो हर गरीब परिवार के लिए भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा की गारंटी देता। मैं चाहता कि कोई भी बच्चा भूखा न सोए और कोई भी माँ-बाप अपनी संतान की पढ़ाई-लिखाई को लेकर परेशान न हो।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव और दृष्टिकोण
एक बार हमारे स्कूल में "भ्रष्टाचार उन्मूलन" पर निबंध प्रतियोगिता हुई थी। मैंने उसमें लिखा था कि "अगर मैं प्रधानमंत्री बनूँगा तो सबसे पहले ईमानदारी को अनिवार्य कर दूँगा।" उस निबंध पर मुझे पुरस्कार भी मिला था। उस दिन लगा कि मेरे विचार छोटे ही सही, लेकिन किसी काम के हो सकते हैं। शायद इसी वजह से आज भी जब मैं प्रधानमंत्री बनने का सपना देखता हूँ तो उसमें आदर्श और वास्तविकता दोनों का मेल रहता है।
मैं यह भी मानता हूँ कि प्रधानमंत्री बनकर अकेले सब कुछ नहीं किया जा सकता। देश के हर नागरिक को अपना कर्तव्य निभाना होगा। यदि जनता सहयोग करे तो कोई भी सरकार देश को आगे ले जा सकती है।
मेरा सपना भारत
यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो मेरा सपना भारत को एक ऐसा देश बनाने का होता जहाँ शिक्षा, रोजगार और ईमानदारी सर्वोच्च हों। जहाँ हर नागरिक गर्व से कह सके कि मैं एक सुरक्षित, समृद्ध और खुशहाल भारत का हिस्सा हूँ। मेरा विश्वास है कि जब युवाओं की ऊर्जा, ईमानदारी और तकनीक का सही इस्तेमाल होगा, तब भारत दुनिया का सबसे मजबूत देश बनेगा।
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