योग पर निबंध | Essay on Yoga in Hindi

 





Essay on Yoga in Hindi


भूमिका: योग का महत्व

योग केवल आसन या कसरत नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है। भारत जैसे देश में योग हजारों साल पुरानी परंपरा है, जिसे आज पूरी दुनिया अपना रही है। जब मैंने पहली बार योग करना शुरू किया था तो मुझे लगा कि यह सिर्फ़ शरीर को फिट रखने का तरीका है, लेकिन धीरे-धीरे समझ आया कि योग मन, शरीर और आत्मा—तीनों को संतुलित करता है।


योग का व्यक्तिगत अनुभव

मुझे याद है, पढ़ाई के दिनों में परीक्षा का दबाव इतना ज़्यादा होता था कि तनाव महसूस होता था। उसी समय मेरी माँ ने कहा कि सुबह-सुबह “अनुलोम-विलोम” और “प्राणायाम” किया करो। शुरुआत में मुझे आलस आता था, लेकिन जब मैंने इसे नियमित रूप से करना शुरू किया, तो ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ गई और पढ़ाई में भी अच्छा प्रदर्शन करने लगा। यह अनुभव मेरे लिए बहुत खास रहा, क्योंकि तब समझ आया कि योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति भी देता है।

आज भी जब कभी काम का तनाव ज़्यादा होता है, तो मैं आधे घंटे योग और ध्यान करता हूँ। इसके बाद मन हल्का और सकारात्मक महसूस करता है। यह मेरी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है।


योग का समाज और दुनिया पर प्रभाव

योग का सबसे बड़ा योगदान है—तनावमुक्त जीवन। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऑफिस के काम, पारिवारिक जिम्मेदारियाँ और आर्थिक दबाव इंसान को थका देते हैं। ऐसे में योग एक सहारा बन सकता है। मैंने खुद अपने एक दोस्त को देखा, जो आईटी कंपनी में काम करता था और डिप्रेशन का शिकार हो गया था। डॉक्टर की सलाह पर उसने योग और ध्यान शुरू किया और कुछ ही महीनों में उसकी जिंदगी बदल गई। आज वह पहले से ज़्यादा खुश और आत्मविश्वासी है।

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया अब योग को अपना रही है। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। उस दिन मैंने खुद अपने शहर के पार्क में लोगों को बड़े उत्साह के साथ योग करते देखा। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी ने इसमें हिस्सा लिया। यह देखकर गर्व हुआ कि हमारी प्राचीन संस्कृति आज वैश्विक पहचान बना चुकी है।


मेरा विचार: योग क्यों ज़रूरी है

मेरा मानना है कि योग सिर्फ़ स्वास्थ्य का साधन नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का तरीका है। योग हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने शरीर की देखभाल करें और साथ ही मन को शांत रखें। यह भी सच है कि योग का असर धीरे-धीरे दिखता है, लेकिन जब आदत बन जाए तो जीवन की गुणवत्ता बदल जाती है।

आज जब मैं छोटे बच्चों को मोबाइल और टीवी में व्यस्त देखता हूँ तो लगता है कि उन्हें बचपन से ही योग सिखाना चाहिए। इससे वे न सिर्फ शारीरिक रूप से मजबूत बनेंगे, बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित रहेंगे।

योग भारत की धरोहर है और हमें इसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए। मेरा अनुभव कहता है कि योग से न केवल स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि आत्मविश्वास और धैर्य भी बढ़ता है। यदि हर व्यक्ति दिन का कुछ समय योग को दे, तो समाज में बीमारियाँ, तनाव और नकारात्मकता काफी हद तक कम हो सकती है।

योग केवल आज के लिए नहीं, बल्कि पूरे जीवन के लिए आवश्यक है। इसलिए मेरा मानना है कि "योग करें, जीवन संवारें।"





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