पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi

 


Essay on Environment in Hindi


पर्यावरण का महत्व

हमारा पर्यावरण सिर्फ पेड़-पौधों और जानवरों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें हवा, पानी, मिट्टी, मौसम, पहाड़, नदियाँ और इंसान सब शामिल हैं। अगर सोचें तो हमारा हर पल पर्यावरण पर निर्भर करता है – सुबह उठते ही हमें ताज़ी हवा चाहिए, पीने के लिए स्वच्छ पानी चाहिए और जीने के लिए अनुकूल मौसम चाहिए।
मुझे याद है, जब मैं अपने गाँव जाता था तो वहाँ की शुद्ध हवा और पेड़ों की छाया मुझे अलग ही सुकून देती थी। वहीं, शहर में प्रदूषण के कारण अक्सर साँस लेने में भारीपन महसूस होता है। तभी समझ आता है कि स्वच्छ और संतुलित पर्यावरण जीवन के लिए कितना ज़रूरी है।


बढ़ता प्रदूषण और हमारी जिम्मेदारी

आज का सबसे बड़ा संकट है पर्यावरण प्रदूषण। हवा जहरीली होती जा रही है, नदियाँ गंदे पानी और प्लास्टिक से भर चुकी हैं, जंगल लगातार काटे जा रहे हैं। इसका असर सीधे हमारे जीवन पर पड़ रहा है – ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, मौसम अनियमित हो रहे हैं और कई जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं।
मुझे याद है, पिछले साल गर्मियों में इतनी भीषण लू चली कि घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। बुजुर्ग कहते हैं कि पहले ऐसी गर्मी नहीं पड़ती थी। यह सब हमारे लापरवाह रवैये का नतीजा है।

हम अकसर सोचते हैं कि पर्यावरण बचाना केवल सरकार का काम है, लेकिन सच यह है कि हर व्यक्ति की इसमें भूमिका है। अगर हम छोटे-छोटे कदम उठाएँ – जैसे प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करना, पानी बचाना, कचरे को सही जगह फेंकना – तो बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।


पेड़-पौधों और प्रकृति से जुड़ा मेरा अनुभव

मुझे बागवानी का शौक है। अपने घर की छत पर मैंने कुछ गमलों में पौधे लगाए हैं। जब सुबह उठकर पौधों को पानी देता हूँ तो मन एकदम तरोताज़ा हो जाता है। यह छोटी-सी हरियाली मुझे याद दिलाती है कि अगर हम सब मिलकर ज़रा-सा भी योगदान करें, तो धरती को फिर से हरा-भरा बना सकते हैं।
पेड़-पौधे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते, बल्कि वे हमें मानसिक शांति भी देते हैं। कभी ध्यान से देखिए, जब हवा पत्तों से होकर गुजरती है तो वह संगीत जैसा लगता है। यह एहसास किसी मशीन या तकनीक से नहीं मिल सकता, केवल प्रकृति से ही मिलता है।


पर्यावरण बचाने के उपाय

अगर हम सच में पर्यावरण को बचाना चाहते हैं तो हमें कुछ सरल आदतें अपनानी होंगी –

  • अधिक से अधिक पेड़ लगाना।

  • बिजली और पानी का अनावश्यक इस्तेमाल न करना।

  • गाड़ियों की बजाय साइकिल या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।

  • प्लास्टिक की जगह कपड़े या जूट के थैले इस्तेमाल करना।

  • बच्चों को प्रकृति से जोड़ना ताकि उनमें बचपन से ही पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी आए।


निष्कर्ष

मेरे अनुभव में पर्यावरण सिर्फ जीने का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व की नींव है। अगर पर्यावरण नष्ट हो गया तो इंसान चाहे कितनी भी तकनीक बना ले, जीवन अधूरा रह जाएगा।
इसलिए मेरा मानना है कि हमें पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी किसी और पर नहीं छोड़नी चाहिए। हर इंसान को अपनी तरफ से प्रयास करना होगा। अगर हम आज प्रकृति का सम्मान करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें धन्यवाद देंगी।





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